۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रमज़ान की पहली दुआ

हौज़ा/ सुप्रीम लीडर ने फरमाया,कभी कभी इंसान जितनी भी दुआ करे क़ुबूल नहीं होती, इसकी वजह क्या है? रिवायत में आया है कि अगर दुआ की शर्तें मौजूद न हों तो दुआ क़ुबूल नहीं होती।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,कभी कभी इंसान जितनी भी दुआ करे क़ुबूल नहीं होती इसकी वजह क्या है? रिवायत में आया है कि अगर दुआ की शर्तें मौजूद न हों तो दुआ क़ुबूल नहीं होती।

बड़ी धार्मिक हस्तियों ने फ़रमाया है जो काम न हो सकते हों, अल्लाह से उसकी इच्छा न किया करो। एक रिवायत में आया है कि एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम के एक साथी ने पैग़म्बर के सामने दुआ की और कहा अल्लाह मुझे किसी का मोहताज क़रार न देना।

हज़रत पैग़म्बरे इस्लाम इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम ने फ़रमायाः इस तरह न कहो! यह कहना सही नहीं है कि अल्लाह मुझे किसी का मोहताज न करना, यह इंसान के मेज़ाज और फ़ितरत के ख़िलाफ़ है।
यह अल्लाह के उस क़ानून और उस फ़ितरत के ख़िलाफ़ है जो अल्लाह ने इंसान के वजूद में रखी है। यह दुआ क़ुबूल न होगी उस शख़्स ने अर्ज़ किया कि ऐ अल्लाह के रसूल तो मैं किस तरह दुआ करूं? फ़रमाया कहो ऐ अल्लाह अपने बंदों के बीच मुझे बुराई को पसंद करने वालों का मोहताज न बनाना,

मुझे कंजूस और घटिया इंसानों का मोहताज न करना, यह सही है, यह हो सकता है! इस बात की अल्लाह के इच्छा कर सकते हैं। तो अल्लाह से अगर कोई ऐसी बात चाही जो अनहोनी हो और दुनिया की आम परंपराओं के ख़िलाफ़ हो तो वह दुआ पूरी नहीं होती।

इमाम ख़ामेनेई
 

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